हैरी चहल (हरमिंदर सिंह) वृद्धों के पहले ब्लॉग वृद्धग्राम के संस्थापक हैं. 2015 में उनको वृद्धग्राम सर्वश्रेष्ठ हिंदी ब्लॉग का सम्मान मिल चुका है. वो हिंदी ऑनलाइन मैगज़ीन समय पत्रिका और किताब ब्लॉग के संपादक हैं. वे उत्तर प्रदेश के अमरोहा ज़िले के छोटे से नगर गजरौला में रहते हैं जहां इंटरनेट की कमज़ोर स्पीड और बिजली की डगमगाती सेवाओं के बावजूद वो लेखन से जुड़ी गतिविधियों में सक्रिय रहते हैं.
जगरनॉट की संपादकीय टीम ने हैरी चहल की किताब हम प्यार क्यों करते हैं? को लेकर उनसे बात की, पेश है उसके अंश:
हम प्यार क्यों करते हैं में बूढ़ी काकी का चरित्र कैसे गढ़ा गया ?
बूढ़ी काकी को वृद्धग्राम ब्लॉग में लिखना शुरू किया. वह एक वृद्धा है जिसका और मेरा संवाद अलग-अलग विषय पर होता है. एक दशक से अधिक समय से इस चरित्र को पाठक पसंद कर रहे हैं. बुढ़ापे पर बात करने के लिए मैं कुछ ऐसा खोज रहा था जो दूसरों को सीख दे सके. दिसंबर की सर्दियों में अचानक कुछ लिखते हुए मैंने ‘बूढ़ी काकी कहती है’ शीर्षक से पहली पोस्ट की. उसका बहुत अच्छा रेस्पॉन्स मिला.
2011 में जाने-माने टीवी एंकर रवीश कुमार ने दैनिक हिंदुस्तान के संपादकीय में बूढ़ी काकी का ज़िक्र करते हुए मेरे ब्लॉग के बारे में एक आर्टिकल लिखा. उसके बाद वेबदुनिया वेबसाइट पर लेख प्रकाशित हुआ जिसमें बूढ़ी काकी की चर्चा रही.
अमर उजाला के संपादकीय में उस दौरान उनके स्तंभ में बूढ़ी काकी की पोस्ट समय-समय पर प्रकाशित हुईं. इसी तरह लोग इस चरित्र को पढ़ते रहे, पसंद करते रहे. जगरनॉट पर बूढ़ी काकी लोकप्रिय रही है और खूब पढ़ी जा रही है.
मेरा मानना है कि उम्रदराज़ों पर बात करने के लिए किसी के पास समय नहीं है. वृद्ध हर जगह उपेक्षित हैं. यह बुढ़ापे को एक सम्मान दिलाने का भी प्रयास है. बूढ़ी काकी एक युवा से बात करती है और हमें ज़िंदगी की अहम सीख देती है. वह सरल है, पेचीदा है और कई बार रोचक भी.
हम प्यार क्यों करते हैं के बारे में विस्तार से बताएं.
बूढ़ी काकी हमें जीवन के अनगिनत पहलुओं से रूबरू करा रही है. उसकी बुढ़ापे की समझ और विचारों से दुनिया को देखने का हमारा नज़रिया बदल रहा है. बूढ़ी काकी ने रंगों में जीवन को बहता पाया है. नीला आकाश और हरी धरती, हर जगह जीवन ने रंगों को समाहित कर लिया है. रंग जीवन से हैं, या रंगों से जीवन; यह सोचना अनोखा है लेकिन हैरानी नहीं होनी चाहिये. हम प्यार क्यों करते हैं ? बूढ़ी काकी सीरीज़ की पहली किताब है.
यह ज़िंदगी और बुढ़ापे को समझने की कोशिश है. रिश्तों की बात करते हुए मैंने भावनात्मक रेशों को जानना चाहा है. हम सभी उलझे हुए हैं और ढेरों सवालों के बीच खुद को असहाय भी महसूस करते हैं. हम प्यार क्यों करते हैं ? हमें हमसे मिलाने का एक छोटा-सा प्रयास है. खुद को जानने के लिए तमाम ज़िंदगी गुज़र जाती है, कुछ ख़ास हासिल किए बिना इंसान अलविदा कह देता है. वह अपनों से प्यार करता है और उस मोह की जकड़न उसे भावनात्मक भंवर में फंसने पर मजबूर कर देती है. बूढ़ी काकी से मेरी चर्चा कई मायनों में उस एहसास को समझना है जिससे हम जुड़े हैं.
हम प्यार क्यों करते हैं ? में आध्यात्मिकता की बात हुई है. बंधनों से मुक्ति पर गंभीर मंथन हुआ है. वह सब हुआ है जो ज़िंदगी को चलाता है. इसमें 10 अध्याय हैं जो हमारे ज़ेहन में उठने वाले अनगिनत सवालों के उत्तर देते हैं.
अच्छी कहानी लिखने के लिए सबसे ज़रूरी चीज़ क्या होती है ?
एक अच्छी कहानी वह है जिसे पाठक शुरू से अंत तक पढ़े और सोचने पर मजबूर हो जाए. उसमें ताज़गी हो और बार-बार पढ़ने का मन करे. कहानी ज़िंदा होनी चाहिए जो पाठक को एक अलग सैर पर ले जाए. वह सवाल करे और उसके उत्तर उसे मिलने चाहिए. ऐसा कुछ जो उसे सीख दे ताकि कहानी का मकसद पूरा हो सके. मेरा मानना है कि कहानियां रोचक होने के साथ-साथ ज़िंदगी बदलने वाली भी होनी चाहिए.
कहानी उस जुगनू की तरह हो जो मन प्रसन्न कर दे और ज़िंदगी रोशन!
आपके लिए जीवन में प्रेम की क्या परिभाषा है ?
प्रेम हर किसी पर अलग तरह से असर करता है. यह सच है उसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता, लेकिन यह भी सच है उसे महसूस किया जा सकता है. इसका उत्तर स्वयं बूढ़ी काकी दे रही है – “मैं खुद से जूझ रही हूं लेकिन खुद से प्रेम भी कर रही हूं. जीवन से भी तो हम प्रेम कर सकते हैं. बुढ़ापे से भी प्रेम किया जा सकता है. मुझे मेरी उम्र से प्यार हो गया है. तुम यह भी कह सकते हो कि मुझे बुढ़ापे से प्रेम हो गया है. यह उम्र के लिहाज़ से बुरा बिल्कुल नहीं है. बात सिर्फ नज़रिए की है. कोई किसी से भी प्यार कर सकता है. प्यार का मतलब भाव से है. जब भाव से भाव का मिलन होता है तो एक और भाव उत्पन्न होता है. वह है प्यार का भाव जिसका अदृश्य होना उसकी खासियत है. वैसे भाव दिखते ही नहीं, महसूस किए जाते हैं.”
आप जगरनॉट के राइटिंग प्लेटफॉर्म तक कैसे पहुंचे ?
ट्विटर के ज़रिए जगरनॉट के नए मंच का पता चला. साथ ही फेसबुक पर भी इसकी चर्चा होती रहती है.
इस कहानी के पीछे आपकी प्रेरणा क्या थी ?
यह कहानी ज़िंदगी के सच को बयान करती है, और हमें बुढ़ापे को समझने में मदद करती है. मेरे लिए वृद्ध हमेशा प्रेरणा रहे हैं. दरअसल जितनी समझ, ज़िंदगी के अनुभव और उतार-चढ़ावों से वे गुज़रे हैं, उसकी वजह से हम उनसे बहुत कुछ सीख सकते हैं. बूढ़ी काकी हमें हौसला देती है तथा वह बुढ़ापे को ज़िंदादिली से जी रही है.
हिंदी में आपकी पांच पसंदीदा किताबें और लेखक कौन हैं ?
पहले मैं कहानियां ही पढ़ता था . उपन्यास पढ़ना बहुत भारी-भरकम था. मुझे हिंदी अनुवाद की हुई किताबें अधिक पसंद हैं. रोंडा बर्न की रहस्य ऐसी किताब है जिसे मैं बार-बार पढ़ता हूं. रामाशंकर कुशवाह की किताब लोक का प्रभाष बहुत अच्छे ढंग से लिखी जीवनी है. मृणाल पाण्डे का सहेला रे हिंदी पाठकों के लिए नए तरह का उपन्यास है. युवा लेखक दीपक मशाल का कहानी संग्रह खिड़कियों से बेहद दिलचस्प लगा.
ये पांच हिंदी अनुवाद मुझे पसंद आए हैं:
- लज्जा (तसलीमा नसरीन)
- ज़िंदगी वो जो आप बनाएं (प्रीति शेनॉय)
- कोहिनूर (विलियम डेलरिंपल)
- दशराजन (अशोक बैंकर)
- कुत्ता जिसने सपने देखने की कोशिश की (सुन मी ह्वांग)
कोई ख़ास सुझाव जो आप अपने पाठकों को देना चाहेंगे?
मेरा मानना है कि जो आप पूरी शिद्दत से करते या सोचते हैं, उसे करते रहें. यदि आधे रास्ते से पीछे हटे तो फिर दूसरा रास्ता खोजना होगा. अच्छा पढ़ें और उसे बांटें. तभी मैं कहता हूं –
‘किताब पढ़, कुछ अलग करें!’
हैरी चहल की हम प्यार क्यों करते हैं ? पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.